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हरियाणा प्रदेश में पंजाबी भाषा के साथ आखिर सौतेला व्यवहार क्यों ? - प्रदेशाध्यक्ष भट्टी

"हरियाणा प्रदेश में एक बड़ी संख्या में पंजाबी पढ़ने व बोलने वाले लोग होने के बावजूद भी हरियाणा में पंजाबी भाषा का रुतबा व मान दिन प्रति दिन गिरता जा रहा है। इसकी अहमियत और योगदान को काफी लंबे अर्से से शिक्षा विभाग व सरकार द्वारा अनदेखा किया जा रहा है", यह बात आज पंजाबी भाषा एवं अध्यापक विकास समिती हरियाणा के प्रदेशाधक्ष इंद्रजीत सिंह भट्टी ने प्रैस से वार्ता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि पंजाबी विषय के इतिहास में पहली बार शिक्षा विभाग हरियाणा ने 2016 में लगभग 172 पंजाबी अध्यापकों की पदोन्नति की जिनको भी विभागीय गलती के कारण मार्च 2017 में रिवर्ट कर दिया गया था वो अध्यापक जिन्होंने माननीय अदालत के हजारों चक्कर लगाने के बाद फरवरी 2019 में अपने केस की बहाली करवाई, अभी तक उन 172 साथियों को विभाग ने स्टेशन अलाट नही किए जो लगभग अपनी सेवानिवृति लेकर घर जा चुके जा जाने को तैयार हैं। इधर हमारे संस्कृत वाले भाई जो हमारे साथ ही 2016 से पदोन्नति की राह देख रहे थे, उनको अब विभाग ने पोस्ट व स्टेशन के साथ नियुक्ति दे दी है, जबकि पंजाबी अध्यापकों को विभाग ने यह कह कर मना कर दिया कि विभाग के पास पंजाबी की पोस्ट ही नही है जबकि सच्चाई यह है कि स्कूलों में पंजाबी पढ़ने वाले बच्चे अध्यापकों की राह देख रहे हैं। तबादले के समय पंजाबी की पोस्ट या तो कैप्ट या सरप्लस कर दी जाती है, जिस से हमारे अध्यापकों को कई दिनों तक आन रोड रहना पड़ता है। बार बार पंचकुला के चक्कर लगाने पड़ते हैं। पंजाबी पढ़ने वाले बच्चों के बिना हम पोस्ट नही बनवा सकते और बिना पंजाबी की पोस्ट के स्कूल प्राचार्य बच्चों को पंजाबी विषय ही नही देते और पंजाबी पढ़ने के इच्छुक विद्यार्थियों को न चाहते हुए भी विवश होकर पंजाबी विषय छोड़ना पड़ रहा है। इस विकट स्थिति में पंजाबी का भविष्य क्या होगा ? आए वर्ष और हर परीक्षा से पहले पंजाबी विषय के पेपर की डेट शीट ही नही होती, इस स्थिति में अध्यापक व बच्चे दोनो शून्य ! कौन पड़ेगा या पढ़ाएगा पंजाबी जब पेपर ही नही होना। उधर एन.एस.क्यू. एफ. पढ़ने वाला बच्चा गणित में फेल हो तो भी पास गिना जाता है और इधर पंजाबी पढ़ने वाला बच्चा मैथ में फेल हो तो फेल ही समझा जाता है। जब सैशन शुरू होता है, हर विषय की पुस्तक आ जाती है पर पंजाबी भाषा की पुस्तक ढूंढने से भी नही मिलती, अवसर ऐप पर नंबर हमारे नही चढ़ते। बार-बार प्रार्थना करनी पड़ती है। विभिन्न भाषाई ऐप में पंजाबी विषय का अति आधुनिक कंटेंट शामिल ही नहीं किया जा रहा।अभी नई शिक्षा नीति में त्रय भाषा फार्मूले को लागू करने के लिए एस. सी . आर. टी. गुरग्राम में एक बोर्ड गठित किया गया है, जिसमे हिन्दी, उर्दू, संस्कृत के विशेषज्ञ तो शामिल कर लिए गए हैं पर उसमें पंजाबी विषय का कोई विशेषज्ञ लिया ही नही गया जा बुलाया ही नही गया। बुनियाद प्रोग्राम एक अच्छा प्रोग्राम है, जिसमे सरकारी विद्यालयों के टॉप क्लास बच्चे छांट लिए जाते हैं, जिनको सारा साल स्कूल से अलग रख अन्य अध्यापकों से तयारी करवाई जाती है, इसमे भी पंजाबी व अन्य विकलिपक विषयों की पढ़ाई का कोई प्रावधान ही नहीं है। अभी विभाग ने एक पत्र जारी कर फरमान जारी कर दिया है कि विद्यालय के अध्यापक केवल बीस दिन में इन पंजाबी, संस्कृत और विकलिपी विषयों के पूरे साल भर के पाठ्यक्रम की तयारी करवाए जो कि इन बच्चों के साथ घोर अन्याय है। भट्टी साहब के साथ आए डॉक्टर नायब सिंह मंडेर ने कहा कि हरियाणा में पंजाबी भाषा और अध्यापकों की जरूरतों और उनको उत्साहित करने के लिए हरियाणा प्रदेश में एक पंजाबी साहित अकादमी बनी हुई थी, जो स्वतंत्र रूप से कार्य करती थी, उसको भी सरकार ने संस्कृत के साथ मर्ज कर एक सैल बना दिया है, जिस से साहित्य प्रेमी काफी नाखुश है। महासचिव श्री सुनील गोयल ने कहा कि विभाग और सरकार पंजाबी भाषा को दिए हुए दूसरे दर्जे के बराबर बनता मान-सम्मान बहाल करे, दूसरे विषयों के बराबर सभी योग अध्यापकों की पदोन्नति करे नहीं तो मजबूरन संगठन को सरकार और विभाग के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए विवश होना पड़ेगा।

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